Sunday, October 26, 2008

२६ -१०-१००८,दिवाली के अवसर पे

सिंहासन हील उठे राजवंशो ने भ्रुकुटी तानी थी,
भुडे भारत मे आयी फ़ीर से नयी जवानी थी.
दुर फ़िरंगी को करने की सबने मन ठानी थी.
चमक उठी सन ५७ मे वह तलवार पुरानी थी.
बुंदेले हर बोलो के मुह हमने सुनी कहनी थी,
खुब लढी मर्दानी वफ़ तो झांसी वाली रानी थी.

यही जसबा,और जुनुन हमे आज लाने की जरुरत है,भलेही बाजार के रंग और ढंग ठीक नही लग रहे,सभी ओर हाहाकर मचा हुआ है,मगर आज की इस परिस्थिती मे हम अगर धैर्य से काम ले,और panic ना हो तो शायद बात बन सकती है.
पिछले सप्तह के आखरी दिन बाजार ने जो निचे के ओर छ्लांग लगाई,उससे सभी जनमानस व्यथीत होते हुए दिख रहे है,और वो जायज भी है,पुरी दुनिया के बाजरो को इस प्रकार के चित्रं आज नये नही है,गिरावट की त्सुनामी ने कुछ इस तरह आपनी लहरो मे चपेट लिया है,के उससे उभरने के लिये काफ़ी मशक्कते करनी पड रही है.अमेरिका मे लाये गये कयी नये उपाय और नियमो के चलते,और कयी नये lows पास करने के बावजुद अमेरिकी शेअर बाजारो मे मंदी चल रही है. डाउ-जोन्स ने भी गये हफ़्ते काफ़ी उछलकुद के बाद ८३०० के लेवल पे बंद हुआ.
एक ओर जब हम तेल की कीमत मे भारी गिरावट देखते है,जहा ४-५ महीने पहले हमे एक बेरल के पिछे १२०$ से भी जादा देने पडते थे,वही अब खरीदने मे केवल ६३$ का भुगतान करना पड रहा है,जहा एक $ के लिये हम ३९रु चुकाते थे अब वही १$ लेने क लिये हमे करिब ५० रु चुकाने पडते है.इस पुरी सायकल को हम अगर ध्यान से देखे तो यह बात नजर आयेगी के डोलर और तेल के भाव मे डयरेक्ट रेशीओ है,उसके चलते हमारे यहा पेट्रोल के किमतो मे अब तलक कोइ भी गिरावट नहि देखने को मीली है.यदी ये किमते ६०$ से भी अगर कम गयई तो शायद हमरे यहा की महंगाई क दर पर थोडी रोक लगायी जा सकती है,और यहा के उद्योगो को उसका आवश्यक फ़ायदा मिल सकत है.जिसके चलते यहाके बाजारो मे स्थिरता आने कै साम्भावना है.
डोलर के चढते भाव के तहत सोने की किमत ने ग्रहको को काफ़ी रहत दी है,धनतेरस के शुभअवसर पर सोने कई कम होती किमते,ग्रहको को थोडी राहत दिलाने वाली जरुर है,मगर उससे कोइ खासा असर होते हुए नही दिखेगा.
दुनिया भरे मे भलेही बिकट परिस्थिती का सामना सब निवेशको को करना पड रहा है,फ़िर भी भारतीय अर्थव्यवस्था को उससे कोइ भी धोका नही है ऐसे विद्वानो का मानना है,वे ये भी कहते हुए नजर आते है के हमारे इस साल के विकास दरो मे थोडीसी घट क चलते वो ७ से ७.५ के आस पास आने की अशंका है.उसीके चलते महंगई का दर आने वाले कुछ दिनो मे कम होते हुए नजर अयेगा.तो निवेशको डरो मत,संयम रखो...दुनिया भर के बाजारो का जायजा अगर लिअय जाये तो बाजारो मे आने वले यह चढाव और उतार अपेक्षित ही होते है,उसीके वजह से अर्थव्यवस्था शक्तीशाली या कमजोर यह सिद्ध नही होता,और उसक वह निष्कर्श भी नही निकलता.भारतीय अर्थव्यवस्था मजबुत है,और मजनुत रहेगी.लेकीन शेअर बाजार आंतरराष्ट्रिय़ं स्तर पे दुनिया से जुडा होने के कारण उसपे दुनिया मे होने वाली घटनाओ का असर पडना स्वाभावीक है.और उसी के चलते हमारे यहा के निर्देषांक ने गोता खाया है.
महंगाई का दर गये दिवाली मे कम था,अभी फ़िलहाल वह बढा हुआ होने के कारण जागतीक बाजारोके भाव नियंत्रण मे आते ही,महंगाई भी हाथ मे आ जायेगी ज्जीसे छह महने का समय यहासे आगे लग सकता है.
हाल ही मे जारी किये गये बयान मे भारतीय रिझर्व्ह बेंक के गव्हर्नर डो सुब्बाराव ने कहा,कुछ कठीन रास्तो कॊ छोडे तो विकसीत देशो के जैसे हमारे यहा आर्थिक मंदी के कॊई भी आसार नही है.अपनी अर्थ्व्यवस्थे का पाया यह देश के भितर निर्माण होने वाली जरुरतो पे है,दुनिया भरे मे होने वाली उथल्पुथल वातवरण के कारण कुछ हलका नुकसन जरुर हो सकता है मगर कोइ ठोस हानी पोहोचने की कोई भी संभवना नही है ऐसा बयान मे उन्होने कहा है.
रेपो रेट,रेव्हर्स रेपो रेट और सी आर आर मे कोई भी और फ़ेर बदल ना होने का धोरण जारी करते ही भारतीय बाजार ने १०७० अंको की चोट खाई,मगर ६ से २० ऒक्टो के दौरान रिझर्व्ह बेंक के आगे आने और सी आर आर और रेपो रेट मे की गयी कटौती के चलते बाजार मे लगभग १.८५,००० करोड रुपये बजार के लिये खुले हो गये थे.तो सभी चिजो को मद्ध्यनजर रखते हुए केंद्र सरकर से सला मशवरा करके बजार के लिये सपोर्टिव रिझल्ट्स लाने का प्रयास रिझर्व्ह बेंक जरुर करेगी,ऎसा उन्होने कहा.
सभी उपलब्ध जानकारी को देखते हुए हम यह एक बात कह सकते है के बाजार मे बने रहीये,पेनिक सेलींग कर बाहर आकर बाजार को मत कोसीये.आने वाले कुछ दिनो मे बाजार ७२०० को स्तर भी देख सकता है.मगर जो लंबी अवधी के पैअसा लगाकर जाद भुगतान लेना चाहते है,वे हर फ़ोल मे अपने पुरी खरिद क कुछ हिस्सा खरीद कर एवरेज जरुर करे,और बाजर मे बने रहे.यह वक्त बाजार को अच्छी तरह समज लेने का है,
कहते है ना,
”ध्यान योग अर्जुन से सीखो,बस मछली की आंख को देखो,अंतिम पर तक जीत की आशा छोडो ना”.
अपना संयम बनये रखे,कोई भी जानकारी यदी आप बाजर के प्रती चाहते है,तो जरुर संपर्क करे.और कही भी निवेष करने से पहले जरुर अभ्यास कर के ही निवेष करे......और यह बात हमेशा याद रखे,”Sensex is just a direction,not a DESTINATION”.
तो बिंदास्त निवेष करे,बस जरा संभलकर.......
शिवानी दाणी.
९८६०१३३८६०
dpatrakar@gmail.com

Saturday, October 25, 2008

CLEAR THE CONCEPTS

What is money for you?What is the liability to you?What are the assets with you?What are your dreams?What are you goals?What are your responsibilities?What are your needs????

Think calmly...
Think wisely...
Think patiently..

and find out of which kind you are....

1]One of those who earns,once in month,pays all the bills,fulfill all the requirements,and liability's and at end of month again waits for the salary....

2]Or one of those who earns once or twice in bulk in month..fulfill all the dreams,goals and then pays the bill with open heart...and keep sufficient with him/her to survive on our terms and condition....

First was is the symbol of RAT RACE and Second is a symbole of wealthy person....

now you decide,what you wanna be...???

and to be wealthy,make it punch line of your life..."NEVER WORK FOR MONEY"....